दो साल से इंसाफ की गुहार: सड़क हादसे में पति की मौत, विकलांग बेटे का इलाज अधूरा – मध्यप्रदेश की महिला कुशीनगर पुलिस के दरवाजे खटखटा रही है
कुशीनगर/शिवपुरी, मध्यप्रदेश।
एक गरीब महिला अपने मृतक पति के लिए न्याय की आस में दो वर्षों से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच चक्कर काट रही है। यह कहानी है कुसुम बैरागी की, जो मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले, वार्ड संख्या 16, अरविंद शिवपुरी की निवासी हैं। इनके पति शिवदास बैरागी, पुत्र आत्मदास, एक ट्रक ड्राइवर थे। 16 अक्टूबर 2023 को वे नासिक से माल लेकर बिहार की ओर जा रहे थे। उसी दौरान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जनपद के थाना तमकुहीराज क्षेत्र में नेशनल हाईवे पर उनका ट्रक (MH 15 JC 1122) सड़क किनारे खड़े वाहन से जबरदस्त टकरा गया।
इस दर्दनाक हादसे में शिवदास बैरागी की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि उनका बेटा अमित बैरागी गंभीर रूप से घायल हो गया। स्थानीय पुलिस ने इस घटना की जानकारी दर्ज की और GD नंबर 046, दिनांक 1 जनवरी 2024 को सुबह 7:35 बजे रोड एक्सीडेंट के रूप में रोजनामचा में अंकित किया गया।
न एफआईआर, न मुआवजा, न उपचार – बस चक्कर ही चक्कर
घटना के बाद कुसुम बैरागी ने अपने मृतक पति के बीमा क्लेम और विकलांग बेटे के इलाज के लिए कुशीनगर पुलिस से बार-बार निवेदन किया कि एक विधिवत एफआईआर दर्ज की जाए, जिससे उन्हें मुआवजा और क्लेम की प्रक्रिया में सहायता मिले। लेकिन अब तक कुशीनगर पुलिस सिर्फ टालमटोल कर रही है।
कुसुम बैरागी बताती हैं:
“मैं गरीब हूं, रसोई का काम करके गुज़ारा करती हूं। पति ही सहारा थे। बेटे की हालत खराब है, इलाज नहीं करा पा रही। दो साल से कुशीनगर आती हूं, किराया जुटाती हूं, लेकिन पुलिस सिर्फ कहती है कि 'कर रहे हैं, हो जाएगा।' आज तक FIR नहीं हुई। हम गरीब हैं, क्या हमारा कोई अधिकार नहीं?”
कागजों में दर्ज मौत, पर न्याय नहीं
इस दुर्घटना की पूरी जानकारी स्थानीय पुलिस के रोजनामचा में मौजूद है। वाहन संख्या, स्थान, मृतक का नाम, समय, गंभीर घायल की स्थिति – सब कुछ दर्ज है। लेकिन अब तक पुलिस ने न तो एफआईआर दर्ज की, न कोई क्लेम रिपोर्ट बनाई, और न ही पोस्टमार्टम की कॉपी उपलब्ध कराई।
यह कानूनन गैर जिम्मेदारी के अंतर्गत आता है, क्योंकि अगर किसी सड़क हादसे में मृत्यु होती है, तो पुलिस का यह कर्तव्य है कि वह धारा 279/304A के तहत एफआईआर दर्ज करे।
क्या गरीब की जान इतनी सस्ती है?
यह सवाल सिर्फ कुसुम बैरागी का नहीं, बल्कि उन हजारों महिलाओं और परिवारों का है जो रोज़ अपने परिजनों को सड़क हादसों में खोते हैं और फिर सरकारी तंत्र की बेरुखी झेलते हैं।
कुसुम की मांग:
- पति शिवदास बैरागी के एक्सीडेंट की विधिवत एफआईआर दर्ज हो।
- दुर्घटना में घायल बेटे अमित के इलाज के लिए आर्थिक सहायता मिले।
- बीमा क्लेम की प्रक्रिया पूरी कराई जाए।
- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो, जिन्होंने 2 साल तक मामले को टालते रहे।
क्या प्रशासन अब भी सोता रहेगा?
क्या एक गरीब महिला को दो राज्यों के बीच यूं ही पीसते रहना पड़ेगा?
जनता जवाब चाहती है।