राजस्व विभाग में लेखपालों की मनमानी: किसान परेशान

राजस्व विभाग में लेखपालों की मनमानी: किसान परेशान, न्याय प्रक्रिया बेअसर!
कुशीनगर।
राजस्व विभाग में तैनात कुछ लेखपालों की कार्यशैली आज एक कभी खत्म न होने वाली समस्या बन चुकी है। न किसी का डर, न किसी तरह की प्रभावी कार्यवाही—यही कारण है कि किसान और भूमि स्वामी वर्षों से न्याय के लिए भटकने को मजबूर हैं।
सूत्रों के अनुसार परगना अधिकारी (एसडीएम) को लेखपाल अपनी रिपोर्टों और दलीलों से इस कदर प्रभावित कर लेते हैं कि अधिकारीगण आँख मूँदकर उन्हीं पर विश्वास कर लेते हैं। नतीजा यह होता है कि पीड़ित किसान जब तहसील से लेकर जिलाधिकारी और अपर जिलाधिकारी के न्यायालय तक पहुँचते हैं, तो भी स्थिति वही रहती है—
“वहीं ढाक के तीन पात।”
जिलाधिकारी एवं अपर जिलाधिकारी न्यायालयों में दाखिल अनेक वाद वर्षों से लंबित हैं। कई मामलों में आदेश पारित हो जाने के बावजूद आज तक उसका कंप्लायंस नहीं कराया गया। खासकर कसया तहसील क्षेत्र के सपहा, कुड़वा और भैंसहा गांवों से जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि—
क्या इन मामलों का समाधान कमिश्नर के हस्तक्षेप से होगा?
या फिर किसानों को मुख्यमंत्री तक गुहार लगानी पड़ेगी?
राजस्व मामलों में जब पीड़ित पुलिस के पास पहुँचता है, तो पुलिस साफ तौर पर यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि “यह राजस्व का मामला है”। ऐसे में किसान आखिर अपनी फरियाद लेकर जाए तो जाए कहाँ?
जब न्याय की अंतिम उम्मीद न्यायालय होती है और वहाँ भी दोषी तेज़, पीड़ित मजबूर नजर आए—तो यह व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
इन्हीं तमाम सवालों और किसानों की पीड़ा को लेकर ओम पत्रिका न्यूज ने इस गंभीर मुद्दे को समाज के सामने रखा है, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस ओर जाए और पीड़ितों को वास्तविक न्याय मिल सके।
रिपोर्ट: ओम पत्रिका न्यूज, उत्तर प्रदेश

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