कानून व्यवस्था पर हमला—चिंताजनक संकेत
कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मठिया में घटित घटना केवल दो पक्षों के बीच का आपसी विवाद नहीं, बल्कि यह कानून व्यवस्था पर सीधा और गंभीर हमला है। सूचना पर पहुंची पुलिस टीम पर उपद्रवियों द्वारा लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से किया गया जानलेवा हमला, समाज में बढ़ते कानून के प्रति अविश्वास और उग्र मानसिकता को उजागर करता है।
पुलिस किसी एक व्यक्ति या पक्ष की नहीं, बल्कि समाज में शांति, सुरक्षा और न्याय की प्रहरी होती है। जब वही पुलिस बल अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान हमले का शिकार हो, तो यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो जाती है। यह घटना दर्शाती है कि कुछ असामाजिक तत्व अब कानून से डरने के बजाय उसे चुनौती देने का दुस्साहस करने लगे हैं।
प्रशंसनीय है कि कुशीनगर पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए 6 महिलाओं सहित कुल 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर कानून के शिकंजे में लिया। इससे यह संदेश स्पष्ट गया है कि चाहे कितने भी लोग हों या किसी भी वर्ग से हों, कानून हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस की यह कार्रवाई न केवल मनोबल बढ़ाने वाली है, बल्कि आम नागरिकों में विश्वास बहाल करने वाली भी है।
हालांकि, इस घटना ने समाज के लिए एक बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया है—आखिर आपसी रंजिश और विवाद इतने उग्र क्यों होते जा रहे हैं? छोटे-छोटे विवादों का हिंसक रूप लेना सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करता है। इसका समाधान केवल पुलिस कार्रवाई नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद, जागरूकता और स्थानीय स्तर पर विवाद निस्तारण की मजबूत व्यवस्था से ही संभव है।
आज आवश्यकता है कि समाज के हर वर्ग के लोग कानून का सम्मान करें, पुलिस प्रशासन का सहयोग करें और विवादों को बातचीत व कानूनी माध्यम से सुलझाने की पहल करें। कानून पर हमला, अंततः समाज की शांति पर हमला होता है—और इसकी कीमत पूरे समाज को चुकानी पड़ती है।
संपादकीय के एन साहनी