ठंड बनी मुसीबत, कुशीनगर में जनजीवन अस्त-व्यस्त
(शीतलहर नहीं, व्यवस्था की सुस्ती ज्यादा चुभ रही है)
कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)। जनपद कुशीनगर इस समय केवल मौसम की मार नहीं झेल रहा, बल्कि व्यवस्था की उदासीनता का भी सामना कर रहा है। शीतलहर और कड़ाके की ठंड ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। सुबह और रात के समय घना कोहरा तथा सिहरन पैदा करने वाली ठंडी हवाएं सड़कों को जोखिम भरा बना रही हैं। दृश्यता बेहद कम होने से हादसों का खतरा बढ़ गया है, लेकिन हालात के अनुरूप ठोस इंतजाम नजर नहीं आ रहे।
ठंड का सबसे ज्यादा दंश गरीब, बेसहारा और दैनिक मजदूरी करने वाले लोग झेल रहे हैं। बाजारों में सन्नाटा पसरा है, काम-धंधे ठप हो चुके हैं और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। अलाव और कंबल की आस में लोग चौक-चौराहों पर भटक रहे हैं, परंतु जमीनी स्तर पर राहत की व्यवस्था न के बराबर है। यह स्थिति प्रशासनिक तैयारियों की वास्तविक तस्वीर सामने रखती है।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी हालात चिंताजनक हैं। बच्चों और बुजुर्गों में सर्दी, खांसी, बुखार और सांस संबंधी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मौसम विभाग पहले ही ठंड और बढ़ने की चेतावनी दे चुका है, बावजूद इसके न तो अलाव की पर्याप्त व्यवस्था दिख रही है और न ही रैन बसेरों में आवश्यक सुविधाएं।
यह समय औपचारिकताओं का नहीं, बल्कि तत्काल और प्रभावी कार्रवाई का है। जिला प्रशासन को चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर अलाव की व्यवस्था करे, रैन बसेरों को सक्रिय और सुरक्षित बनाए तथा जरूरतमंदों तक कंबल वितरण सुनिश्चित करे। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो ठंड का यह दौर कई परिवारों के लिए त्रासदी में बदल सकता है।
जनता को राहत चाहिए, बयान नहीं।
— ओम पत्रिका न्यूज, उत्तर प्रदेश