धरना समाप्ति के बाद मुकदमे दर्ज करने पर उठे सवाल
“आखिर इनका जुर्म क्या था?” — ग्रामीणों व पत्रकारों पर कार्रवाई से आक्रोश
कुशीनगर (पडरौना)।
बबुईया हरपुर में स्व. छोटेलाल कुशवाहा के मामले को लेकर हुए शांतिपूर्ण आंदोलन के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आंदोलनकारियों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि प्रशासनिक आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त होने के बावजूद देर रात मुकदमे दर्ज कर दिए गए, जो लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है।
जानकारी के अनुसार, पीड़ित परिवार के समर्थन में ग्रामीणों द्वारा किया गया धरना जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी (ADM) के आश्वासन के बाद निर्धारित समय के भीतर शांतिपूर्वक समाप्त हो गया था। इसके बावजूद उसी रात लगभग 11 बजे 60 लोगों पर नामजद और 150–200 लोगों पर अज्ञात में मुकदमे दर्ज कर दिए गए।
इस कार्रवाई को लेकर पूर्व विधानसभा प्रत्याशी खड्डा (329) एवं अधिवक्ता विजय प्रताप कुशवाहा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए, उनका एकमात्र “जुर्म” यह था कि उन्होंने एक पीड़ित परिवार के लिए आवाज़ उठाई और संविधान प्रदत्त अधिकारों के तहत शांतिपूर्ण विरोध किया।
पत्रकार भी कार्रवाई की जद में
मामले को लेकर एक और गंभीर आरोप सामने आया है कि घटनास्थल पर रिपोर्टिंग के लिए मौजूद कुछ पत्रकार भी पुलिस कार्रवाई के दायरे में आ गए। आरोप है कि केवल खबर संकलन और रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को मुकदमों में फंसाकर डराने का प्रयास किया गया।
पत्रकार संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि यदि सच दिखाना और सवाल पूछना अपराध बन जाएगा, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला होगा।
संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
विरोध करने वालों का कहना है कि शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) और 19(1)(b) के तहत संरक्षित है। ऐसे में आंदोलन समाप्त होने के बाद मुकदमे दर्ज करना कानून व्यवस्था नहीं, बल्कि दमनात्मक कार्रवाई है।
मुकदमे वापस लेने की मांग
विजय प्रताप कुशवाहा ने जिला प्रशासन से सभी दर्ज मुकदमों को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा और यह लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक लड़ी जाएगी।
फिलहाल प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन मुकदमों को लेकर जिले में राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज़ हो गई है।