अन्नपूर्णा भवन स्थल पर ग्रामीणों का विरोध, डीएम को सौंपा ज्ञापन
वर्तमान स्थान दूर व असुरक्षित, सभी मजरों के मध्य भवन निर्माण की मांग
कुशीनगर।
पडरौना विकास खंड के ग्राम रतनवा में प्रस्तावित अन्नपूर्णा भवन के लिए चयनित भूमि को लेकर ग्रामीणों में गहरा असंतोष व्याप्त है। इसी क्रम में गांव के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपते हुए चयनित स्थल पर आपत्ति दर्ज कराई और शासन की मंशा के अनुरूप भवन को ग्राम सभा के सभी मजरों के मध्य बनाए जाने की मांग की।
ग्रामीणों का कहना है कि हल्का लेखपाल द्वारा चयनित आराजी संख्या 71 (0.077 हेक्टेयर) भूमि न केवल गांव की आबादी से लगभग एक किलोमीटर दूर है, बल्कि यह स्थान ग्राम पंचायत के अधिकांश मजरों से भी काफी दूरी पर स्थित है। ऐसे में अन्नपूर्णा भवन जैसी जनकल्याणकारी योजना का उद्देश्य ही प्रभावित हो जाएगा, क्योंकि महिलाओं, बुजुर्गों और जरूरतमंदों के लिए वहां तक पहुंचना कठिन और असुरक्षित होगा।
ज्ञापन में ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि शासन की मंशा यह है कि अन्नपूर्णा भवन ऐसे स्थान पर बने, जहां ग्राम सभा के सभी मजरों के लोगों को समान रूप से सुविधा मिले। दूरस्थ और सुनसान स्थान पर भवन बनने से महिलाओं की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न खड़े होते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि इस संबंध में पूर्व में IGRS के माध्यम से भी शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत के बाद पडरौना खंड विकास अधिकारी कार्यालय द्वारा कराई गई जांच में यह तथ्य सामने आया था कि चयनित भूमि गांव की आबादी से लगभग एक किलोमीटर दूर है और पंचायत के सभी मजरों से समान दूरी पर नहीं है। जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि प्रस्तावित स्थल पर पेयजल, रास्ता और अन्य बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जांच रिपोर्ट के बावजूद अब तक भूमि चयन में सुधार नहीं किया गया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि यदि अन्नपूर्णा भवन गांव के मध्य या सभी मजरों के समीप बनेगा, तभी योजना का वास्तविक लाभ पात्र लोगों तक पहुंच सकेगा।
इस मामले में जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि ज्ञापन और जांच रिपोर्ट का अवलोकन कर पूरे प्रकरण की पुनः समीक्षा कराई जाएगी तथा शासन की मंशा और ग्रामीणों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लिया जाएगा।
ग्रामीणों का कहना है कि अन्नपूर्णा भवन कोई साधारण निर्माण नहीं, बल्कि यह गरीब, निराश्रित और जरूरतमंदों से जुड़ी योजना है। ऐसे में भूमि चयन में लापरवाही न केवल प्रशासनिक चूक है, बल्कि सामाजिक संवेदनहीनता भी है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस ग्रामीण और सामाजिक मुद्दे पर कितनी संवेदनशीलता दिखाता है।