फरियादियों के प्रति संवेदनशील एसडीएम डॉ. संतराज सिंह बघेल, खुद चैंबर से बाहर निकलकर सुनी जनता की पीड़ा

फरियादियों के प्रति संवेदनशील एसडीएम डॉ. संतराज सिंह बघेल, खुद चैंबर से बाहर निकलकर सुनी जनता की पीड़ा
जनता की समस्या सुनते डाक्टर संतराज सिंह "बघेल"

कसया तहसील में दिखी जनसेवा की नई मिसाल, पारदर्शिता और संवेदनशीलता की हो रही सराहना


कसया, कुशीनगर।
तहसील कसया में तैनात पीसीएस अधिकारी डॉ. संतराज सिंह बघेल इन दिनों अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में हैं। उप जिलाधिकारी (एसडीएम) कसया के पद पर आसीन डॉ. संतराज सिंह ने फरियादियों के प्रति ऐसी संवेदनशीलता दिखाई, जो लंबे समय बाद तहसील परिसर में देखने को मिली।
जनसुनवाई के दौरान एसडीएम डॉ. संतराज सिंह बघेल न केवल अपने चैंबर में बैठे रहे, बल्कि खुद बाहर निकलकर फरियादियों के पास पहुंचे और उनके प्रार्थना पत्र स्वयं लेकर गंभीरता से सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने प्रत्येक शिकायत को पूरी पारदर्शिता और संवेदनशीलता के साथ सुना, जिससे फरियादियों के चेहरे पर संतोष साफ नजर आया।
एक फरियादी ने भावुक होकर बताया कि
“ऐसा साहब इससे पहले कसया तहसील में नहीं आया। यह पहले अधिकारी हैं, जो कुर्सी पर बैठकर नहीं, बल्कि पीड़ित के पास पहुंचकर उसकी पीड़ा सुनते हैं।”
एसडीएम डॉ. संतराज सिंह बघेल ने स्पष्ट शब्दों में कहा—
“मैं कुर्सी पर बैठने नहीं आया हूं, मैं एक जनसेवक हूं। आयोग ने मुझे कसया की धरती पर जनता की सेवा के लिए भेजा है। मैं जानता हूं कि यह क्षेत्र पिछड़ा है और यहां गरीबों को न्याय पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।”
उन्होंने आगे बताया कि कड़ाके की ठंड में भी दूर-दराज के गांवों से लोग राजस्व संबंधी मामलों को लेकर तहसील आए थे। तहसील परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से जब उन्होंने यह दृश्य देखा, तो वे खुद को रोक नहीं पाए और जनसुनवाई कार्यालय से बाहर निकलकर जनता की समस्याएं सुनीं।
डॉ. संतराज सिंह बघेल की इस कार्यशैली को लेकर तहसील परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं, फरियादियों और कर्मचारियों में सकारात्मक चर्चा है। लोगों का कहना है कि यदि ऐसे अधिकारी मिलें, तो प्रशासन और जनता के बीच की दूरी स्वतः कम हो सकती है।
✍️ रिपोर्ट : ओम पत्रिका, कुशीनगर

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