कुशीनगर: आवारा कुत्तों का कहर – 8 बकरे और 32 मुर्गे मार डाले, लेखपाल और पशु चिकित्साधिकारी की घोर लापरवाही उजागर, प्रधान असलम अंसारी ने दिखाई दरियादिली



कुशीनगर: आवारा कुत्तों का कहर – 8 बकरे और 32 मुर्गे मार डाले, लेखपाल और पशु चिकित्साधिकारी की घोर लापरवाही उजागर, प्रधान असलम अंसारी ने दिखाई दरियादिली


स्थान: ग्राम धर्मपुर बुजुर्ग, थाना रबिंद्रनगर, जनपद कुशीनगर
रिपोर्ट: के. एन. साहनी, जिला रिपोर्टर कुशीनगर

जनपद कुशीनगर के रबिंद्रनगर थाना क्षेत्र के ग्राम धर्मपुर बुजुर्ग में एक हृदयविदारक घटना और प्रशासन की असंवेदनशीलता की तस्वीर सामने आई है। बीते रविवार को तेज बारिश के दौरान सुनील गोंड पुत्र जगलाल गोंड का कच्चा मकान गिर गया। उसी मलबे में दबे उनके 8 बकरे और 32 मुर्गियां आवारा कुत्तों का शिकार हो गए।

गरीब परिवार का टूटा सहारा
सुनील गोंड की पत्नी कविता देवी, जो प्राथमिक विद्यालय में रसोइया हैं, घटना के समय स्कूल में थीं। सूचना मिलते ही वह दौड़ीं तो देखा कि जानवरों की लाशें जगह-जगह बिखरी हैं और कुछ को कुत्ते घसीट कर ले जा रहे हैं। पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। यह जानवर ही उनके जीवनयापन का एकमात्र सहारा थे।

ग्राम प्रधान असलम अंसारी ने दिखाई दरियादिली
जहां एक ओर प्रशासनिक अमला घटनास्थल से गायब रहा, वहीं ग्राम प्रधान असलम अंसारी ने मानवीय संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तुरंत मौके पर पहुंचकर पीड़ित परिवार की सहायता की। उन्होंने न सिर्फ क्षेत्रीय लेखपाल और पशु चिकित्साधिकारी को सूचित किया, बल्कि अपने निजी खर्च से मृत जानवरों को दफनाने में सहयोग भी दिया।

प्रधान असलम अंसारी ने कहा कि "यह प्रशासन की घोर लापरवाही है। गरीब की मदद करना मेरा फर्ज है। जब तक शासन-प्रशासन नहीं जागता, तब तक हम गांववाले ही एक-दूसरे का सहारा हैं।"

प्रशासन नदारद, फोन पर भी नहीं मिला जवाब
घटना के बाद कई बार पशु चिकित्साधिकारी को फोन किया गया, लेकिन न तो कोई रिस्पॉन्स मिला और न ही कोई मौके पर पहुंचा। लेखपाल का भी कोई अता-पता नहीं चला। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ग्रामीणों की जान-माल की कोई कीमत नहीं?

डॉक्टर भी नदारद, पोस्टमार्टम के बिना दफनाए गए जानवर
पीड़ित जब थक-हारकर पडरौना स्थित पशु चिकित्सालय पहुंचे, तो वहां भी कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। अंततः उन्होंने स्वयं मरे जानवरों को जमीन में गाड़ा, जिससे बीमारी फैलने की आशंका अब भी बनी हुई है।

जरूरी है प्रशासनिक जवाबदेही
इस पूरे मामले ने जिला प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया है। लेखपाल और पशु चिकित्साधिकारी जैसे जिम्मेदार पदों पर तैनात अधिकारियों की गैरमौजूदगी इस बात का प्रमाण है कि ग्रामीण आपदा प्रबंधन व्यवस्था सिर्फ कागजों पर है।

पीड़ित की मांग – मिले मुआवजा, दोषियों पर हो कार्रवाई
सुनील गोंड ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई और गरीब ऐसी पीड़ा का शिकार न हो।

रिपोर्ट: के. एन. साहनी, जिला रिपोर्टर कुशीनगर



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