भारत :गुलामी से आज़ादी तक
🔹 गुलामी से आज़ादी तक
1947 से पहले भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन में रहा। अंग्रेजों के अत्याचार, आर्थिक शोषण और भारतीयों को दोयम दर्जे का नागरिक मानने के खिलाफ़ देशभर में असंतोष फैल चुका था।
महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों,
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सशस्त्र संघर्ष,
भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान,
और जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद जैसे नेताओं के राजनीतिक संघर्ष ने आज़ादी की नींव रखी।
🔹 “फूट डालो और राज करो”
अंग्रेजों ने जाते-जाते देश को धर्म के आधार पर बाँटने की साज़िश रची।
हिंदू-मुस्लिम विभाजन को हवा दी गई, जिससे भारत को दो देशों में बाँटने का फैसला हुआ—
🇮🇳 भारत
🇵🇰 पाकिस्तान
🔹 15 अगस्त 1947 – आज़ादी का दिन
15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ।
लाल क़िले की प्राचीर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण दिया—
"ट्रिस्ट विद डेस्टिनी" (नियति से साक्षात्कार)
लेकिन यह आज़ादी खुशियों के साथ गहरे ज़ख़्म भी लेकर आई।
🔹 विभाजन की त्रासदी
देश के बँटवारे में—
- लगभग 1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए
- करीब 10 लाख लोगों की जान गई
- भाई भाई का दुश्मन बन गया
- औरतों पर अत्याचार हुए, घर उजड़ गए
रेलें लाशों से भरी आती थीं, गाँव जलाए गए, इंसानियत शर्मसार हुई।
🔹 नई शुरुआत
इन सबके बावजूद भारत ने हार नहीं मानी—
- डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान बना
- सरदार पटेल ने सैकड़ों रियासतों का भारत में विलय कराया
- लोकतंत्र, समानता और धर्मनिरपेक्षता को आधार बनाया गया
🔹 1947 का संदेश
1947 सिर्फ़ एक साल नहीं, बल्कि—
- बलिदान की कहानी
- आँसुओं में डूबी आज़ादी
- और नए भारत की शुरुआत है
यह हमें याद दिलाता है कि
👉 आज की आज़ादी कितनी क़ीमती है।